देवताओं में सबसे पहले पूजे जाने वाले भगवान गणेश का जन्मदिन आज गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जा रहा है। 10 दिन तक चलने वाले इस पर्व को गणशोत्सव या भी कहा जाता है। गणेशोत्सव के दिन लोग घरों में भगवान गणेश को स्‍थापित करते हैं और 10वें दिन यानी अनंत चतुदर्शी के दिन विर्सजन किया जाता है। इस बार ये पर्व 25 अगस्त से 5 सितंबर तक चलेगा। 

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भाद्र पद में आने वाला ये पर्व इस बार काफी शुभ है, क्योंकि इस बार ये पर्व हस्त नक्षत्र में पड़ रहा है, जिसे काफी शुभ माना जाता है।





बप्पा को घर लाने, स्‍थापना करने और उनकी पूजा करने के लिए भक्तों के पास मध्यान्ह के 2 घंटे 33 मिनट होंगे। गणपति का जन्म मध्यान्ह काल में हुआ था, इसीलिए इसी काल में पूजा करना शुभ माना जाता है। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11.05 से लेकर दोपहर 01.39 बजे तक रहेगा।





एक चौकी पर लाल रेशमी का वस्‍त्र बिछाकर उसमें मिट्टी, धातु, सोने या चांदी मूर्ति के रखें और ऊं गं गणपतये नमः कहते हुए पूजन सामग्री गणपति को अर्पित करें। इसके बाद एक पान के पत्ते पर सिंदूर में हल्का सा घी मिलाकर स्वा‌स्तिक चिन्ह बनाएं। जिसके ऊपर कलावा से लिपटी एक सुपारी को रख दें।

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इन्हीं को गणपति मानकर या फिर मिट्टी की प्रतिमा के साथ रखकर पूजा करें। गजानंद को लड्डू बेहद है, इसीलिए मोतीचूर के लड्डू जरूर चढ़ाएं। लड्डू के साथ गेहूं का परवल, धान का लावा, सत्तू, गन्ने के टुकड़े, तिल, नारियल और केले चढ़ाएं।