हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। इस बार यह तीज 24 अगस्त यानि गुरूवार के दिन मनाई जाएगी। इस व्रत को तीजा भी कहते है। विवाहित महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य की कामना के लिए यह व्रत रखती है और अविवाहित लड़कियां अच्छे वर की कामना के लिए भी इस व्रत को रखती है।
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शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए मां पार्वती ने इस व्रत को रखा था, इसलिए इस व्रत का महत्व बढ़ जाता है। तब पार्वती जी के तप और आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।
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हरतालिका तीज में महिलाएं पूरे दिन बिना जल ग्रहण किए व्रत का पालन करती है और व्रत के अगले दिन जल ग्रहण करती है। हरितालिका व्रत के दिन रात को महिलाएं जागती है और भजन-कीर्तन करती है।
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तीज के दिन महिलाएं बिना कुछ खाए-पीए रहती है। इस व्रत में भगवान शंकर और माता पार्वती की मूर्ति बनाकर उनकी पूजा की जाती है।
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इस व्रत में सुहाग की डिब्बी में सुहाग की सभी चीजों को रखकर माता पार्वती को अर्पित करना चाहिए वहीं शिवजी को धोती और अंगोछा चढ़ाया जाता है। पूजा के बाद महिलाएं अपने बड़े-बुजुर्गो का आशीर्वीद प्राप्त करती हैं।