कहा जाता है अधिक तनाव के तनाव के कारण व्यक्ति अवसद यानी डिप्रशेन का शिकार हो जाता है, वो काफी हद तक सही भी है। की माने तो डिप्रेशन तीन कारणों की वजह से होता है, जिसकी वजह से वो परेशान रहने लगता है। आगे चलकर यही परेशानी बढ़ जाती है, जिसके बाद उसे डॉक्टर्स और दवाईयों का सहारा लेना पड़ता है।
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अगर आपके आस पास भी कोई व्यक्ति इस अवस्था में दिख रहा है तो तुरंत ये उपाय करें और उसमे आत्मविश्वास जगाने की कोशिश करें। ज्योतिशास्त्र के कारण पितृदोष, पूर्व जन्म के कर्म और ग्रहों के गोचर के कारण्ा भी अवसाद हो सकता है। जानें कैसे इनकी वजह से होती हैं परेशानियों और निजात पाने के लिए जानें उपाय
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माना गया है पूर्वजों के कर्मो का लेखा जोखा आने वाली पीढ़ी का उठाना पड़ता है और यहीं पितृ दोष के रूप में उनकी कुंडली में दिखाई देता है। वैसे मेडिकल साइंस में इसे वंशानुगत रोग की संज्ञा दी जाती है। जन्म कुंडली में पितृ दोष पंचम भाव से देखा जाता है। यदि पंचम भाव या पंचदेश राहु या शनि से पीड़ित हो या फिर सूर्य व चंद्रमा, लग्नेश शनि या राहु से पीड़ित हो तो व्यक्ति को पितृ दोष होता है। ऐसे में व्यक्ति पारिवारिक परेशानियों से घिरा रहता है।
उपायः पितृदोष की शांति हेतु त्रिपिंडी श्राद्ध, नारायण बलि कर्म, महामृत्युंजय मंत्र का जाप एक अच्छा उपाय है। इसके अलावा पितरों की शांति के लिए पिंडदान करना चाहिए।
उपायः पितृदोष की शांति हेतु त्रिपिंडी श्राद्ध, नारायण बलि कर्म, महामृत्युंजय मंत्र का जाप एक अच्छा उपाय है। इसके अलावा पितरों की शांति के लिए पिंडदान करना चाहिए।
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ज्योतिषशास्त्र के अनुसार व्यक्ति को उनके पूर्व जन्म के कर्म का फल इस जन्म में भुगतना पड़ता है। ऐसी स्थिति में चंद्रमा शनि या राहु द्वारा पीड़ित व्यक्ति या ग्रहण दोष से पीड़ित व्यक्ति डिप्रेशन में आ जाता है।
उपायः सोमवार के दिन जल और दूध से भगवान शिवजी की पूजा करें। इसके अलावा सूर्योदय से पूर्व उठकर सूर्यदेव को प्रणाम करें।
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इस जन्म के कर्म फल के अनुसार ही व्यक्ति को ग्रह गोचर और दशानुसार प्राप्त होते हैं। जब भी शनि की साढ़ेसाती आती है तो मन को भारी पीड़ा रहती है और इसका भोग व्यक्ति को अपने कर्मानुसार भोगना पड़ता है।
उपायः शनिवार को तेल छाया दान करें और हनुमान चालिसा या सुंदरकांड का पाठ करवाएं।
उपायः शनिवार को तेल छाया दान करें और हनुमान चालिसा या सुंदरकांड का पाठ करवाएं।