हर महीने को पड़ने वाली अमावस्या तिथि का अपना विशेष महत्व होता है। सोमवार को होने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते है। भादो महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को कुशग्रहणी अमावस्या और अघोरी चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। इसी दिन सूर्य ग्रहण भी लगेगा लेकिन यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा जिसके कारण इसका महत्व बढ़ जाता है।
 
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कुशग्रहणी अमावस्या के दिन पूरे साल के लिए अनेक धार्मिक कार्यो के लिए कुश जोकि एक प्रकार की घास होती है को एकत्र किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन यदि घास को एकत्रित किया जाए तो पूरे साल इसका पुण्य लाभ मिलता है। किसी भी धार्मिक कार्य में इसका प्रयोग करना जरुरी होता है।
 




शास्त्रों में दस प्रकार की कुशों का उल्लेख मिलता है कुशग्रहणी अमावस्या के दिन इन दस प्रकारों की घास को एकत्रित कर लेना चाहिए, लेकिन घास को केवल हाथ से ही एकत्रित करना चाहिये और उसकी पत्तियां पूरी की पूरी होनी चाहिये आगे का भाग टूटा हुआ न हो। सूर्योदय का समय ही इस कुश को चुनना उचित रहता है।

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ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव के गणों भूत-प्रेत को आजादी मिलती है। इसलिए बुरी आत्माओं के प्रभाव से बचने के लिए लोग अपने घरों के दरवाजे,रोशनदान और खिड़कियों पर इस दिन कांटेदार पौधे को लगाते हैं।





इसे अधोरी चतुर्दशी कहते है इस दिन शनिदेव और पितरों की पूजा से पाप कटते है। इस अमावस्या को पूजा-पाठ, दान जरूर करना चाहिए।