कहीं आपने भी तो नहीं देखा छिपकलियों को इस तरह , होते हैं कई नुकसान 

ये छोटी सी जीव अक्सर हमारे नजरों के सामने रहती है, जिसे मामूली ही समझ लिया जाता है। शकुनशास्‍त्र के अनुसार घर में छिपकली का होना कोई मामूली बात नहीं है। इनका किसी व्यक्ति पर गिरने के पीछे भी छिपे होते हैं।  ये भी पढ़ें-  वैसे तो छिपकली की आवाज सुनना मुश्किल होता है, लेकिन ‌दिन में भोजन करते समय अगर छिपकली की आवाज सुनाई दे जाए तो मतलब आपको शीघ्र ही कोई शुभ समाचार मिलने वाला है।  अगर छिपकली सीधे व्यक्ति के माथे पर गिरे तो इसे बेहद शुभ माना जाता है। इससे संपत्ति मिलने की संभावना बढ़ जाती है। ये भी पढ़ें-  दो छिपकलियों के बीच लड़ाई अक्सर देखी जा सकती है। अगर आपको छिपकली लड़ते हुए दिखाई दे संभल जाएं। इसका मतलब जल्द ‌ही किसी के साथ आपका झगड़ा होने वाला है। अगर आप नए घर में प्रवेश कर रहे हो, उसी समय छिपकली मरी हुई या मिट्टी लगी हुई दिखाई दे तो सावधान हो जाएं। इससे परिवार के सदस्य रोगी हो सकते हैं। इसीलिए इस अपशकुन के बचने के लिए पूरे विधि विधान से पूजा पाठ करवाएं।

गणेशोत्सव इस बार 10 नहीं 11 दिनों तक मनाया जाएगा,जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त

हिन्दू धर्म में गणेश उत्सव का विशेष महत्व होता है। यह उत्सव भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इस बार गणेशोत्सव 10 दिन के बजाय 11 दिनों तक चलेगा। इस साल गणेश चतुर्थी 25 अगस्त को मनाई जाएगी। पढ़े- हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य करने से पहले सभी देवी-देवताओं में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। यह पर्व विशेष तौर पर महाराष्ट्र में 10 दिनों तक मनाया जाता है। इसमें लोग अपने घर में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करते है। वैसे तो गणेशोत्सव 10 दिनों तक चलता है लेकिन इस बार यह 11 दिनों तक चलेगा। इस बार इस दौरान 2 दशमी तिथि पड़ रही हैं क्योंकि 31 अगस्त और 1 सितंबर को दोनो दिन दशमी तिथि रहेगी। भगवान गणेश को इस दौरान कई तरह की मिठाईयां पूजा में चढ़ाई जाती है। गणेश जी को मोदक काफी पंसद होता है यह चावल के आटे,गु़ड़ और नारियल से बनाया जाता है। गणेश जी की पूजा दोपहर के समय की जाती है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म दोपहर के समय हुआ था।

नदियों की गहराई में मिलता है ये पत्‍थर, धारण करने से छूमंतर हो जाती है टेंशन 

आमतौर पर लोग नौ को ही जानते हैं और उसी को धारण भी करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं ‌कि कुछ ऐसे भी है जो मानसिक तनाव को दूर कर देता है। इस रत्न के बारे में बहुत कम लोगों को ही जानकारी होती है। इन्हीं में से एक है हकीक रत्न, जो कि गोदावरी और नर्मदा नदी के तल में पाया जाता है।  कई तरह के रंगों में मिलने वाला हकीक काफी लाभदायक होता है। जबकि कुछ भी हैं, जिनके बारे मे बहुत कम लोगों को ही जानकारी होती है।  ये भी पढ़ें- अगर आप तनाव ग्रस्त रहते हैं तो आपको सफेद रंग का हकीक का उपयोग करना चाहिए। शनि देवता को प्रसन्‍न करने के लिए नीले रंग के हकीक का इस्तेमाल किया जाता है।

इन 7 कारणों से महाभारत के युद्ध में अर्जुन के हाथों मारा गया दानवीर कर्ण

महाभारत का महायुद्ध 18 द‌िनों तक चला इस युद्ध में सतरहवें द‌िन कौरवों के सेनापत‌ि कर्ण को वीरगत‌ि प्राप्त हुई जब अर्जुन ने न‌िहत्‍थे कर्ण पर द‌िव्यास्‍त्र का प्रयोग कर द‌िया। अर्जुन के द‌िव्यास्‍त्र से कर्ण की मृत्यु हो गई लेक‌िन यह पूरा सत्य नहीं है। दरअसल इसके पीछे 7 ऐसे कारण हैं जो नहीं होते तो कर्ण का अर्जुन के हाथों मरना असंभव होता। कर्ण दानवीर था लेक‌िन जीवन भर भाग्य ने उनके साथ कंजूसी द‌िखाई। जन्म के साथ ही मां का साथ छूट गया। मां ने बदनामी के डर से कर्ण को जन्म लेने के साथ ही बक्से में बंद करके गंगा में प्रवाह‌ित कर द‌िया। इससे कर्ण को अपनी वास्तव‌िकता का ज्ञान नहीं हो पाया और यह उसके ल‌िए मृत्यु का कारण बन गया। गुरु परशुराम जी ने कर्ण को शाप दे द‌िया क‌ि तुम मेरी दी हुई श‌िक्षा उस समय भूल जाओगे जब तुम्हें इसकी सबसे ज्यादा जरुरत होगी। शाप की वजह यह थी क‌ि कर्ण ने क्षत्र‌ियों के समान साहस का पर‌िचय द‌िया था ज‌िससे गुरु परशुराम क्रोध‌ित हो गए क्योंक‌ि उन्होंने क्षत्र‌ियों को ज्ञान न देने की प्रत‌िज्ञा ली हुई थी। और सत्‍य भी यही था क‌ि कर्ण एक क्षत्र‌िय थे और वास्तव‌िकता का बोध नहीं होने की वजह से खुद को सूत पुत्र बताया था। अर्जुन के हाथों कर्ण की मौत के पीछे दूसरा कारण एक ब्राह्मण का शाप था। एक बार कर्ण अपने रथ से जा रहे थे तेज रफ्तार रथ के नीचे एक गाय की बछ‌िया आ गई ज‌िससे उसकी मृत्यु हो गई। ब्राह्मण ने क्रोध में आकर कर्ण को शाप दे द‌िया क‌ि ज‌िस रथ पर चढ़कर अहंकार में तुमने गाय के बछ‌िया का वध क‌िया है उसी प्रकार न‌िर्णायक युद्ध में तुम्हारे रथ का पह‌िया धरती न‌िगल जाएगी और तुम मृत्यु को प्राप्त होगे। महाभारत के न‌िर्णयक युद्ध में कर्ण के रथ का पह‌िया धरती में धंस गया और इसे न‌िकालते समय अर्जुन ने द‌िव्यास्‍त्र का प्रयोग कर द‌िया। इस समय कर्ण परशुराम जी के शाप के कारण ब्रह्मास्‍त्र का प्रयोग नहीं कर पाए और मृत्यु को प्राप्त हो गए। अर्जुन के हाथों कर्ण के मारे जाने की तीसरी वजह कर्ण का महादानी होना था। कर्ण हर द‌िन सूर्य देव की पूजा करता था और उस समय जो भी कर्ण से दान मांगता था उसे कर्ण दान देते थे। महाभारत युद्ध में अर्जुन की रक्षा के ल‌िए देवराज इंद्र ने कर्ण से भगवान सूर्य से प्राप्त कवच और कुंडल दान में मांग ल‌िया। द‌िव्य कवच और कुंडल कर्ण दान नहीं करते तो उन पर क‌िसी द‌िव्यास्‍त्र का प्रभाव नहीं होता और वह जीव‌ित रहते। देवराज इंद्र के द‌िव्यास्‍त्र का घटोत्कच पर प्रयोग कर्ण की मृत्यु का कारण बना। कवच कुंडल दान के बदले कर्ण को देवराज से शक्त‌ि वाण म‌िला था ज‌िसका प्रयोग कर्ण ही बार कर सकता था। कर्ण ने इस वाण को अर्जुन के ल‌िए बचाकर रखा था लेक‌िन घटोत्कच के आतंक से परेशान हो कर कर्ण को शक्त‌ि वाण का प्रयोग घटोत्कच पर करना पड़ गया। अगर ऐसा नहीं होता तो महाभारत के युद्ध का प‌र‌िणाम कुछ और ही होता। कर्ण की मृत्यु के पीछे एक बड़ा कारण स्वयं भगवान श्री कृष्‍ण थे ज‌िन्होंने इंद्र को वरदान ‌द‌िया था क‌ि वह महाभारत के युद्ध में अर्जुन का साथ देंगे और सूर्य के पुत्र कर्ण पर व‌िजय प्राप्त करेंगे।कर्ण की मृत्यु अर्जुन के हाथों होने की एक अन्य बड़ी वजह यह थी क‌ि कर्ण दुर्योधन का साथ दे रहे थे जो अधर्म कर था। अधर्म का साथ देने की वजह से कर्ण का वीरगत‌ि प्राप्त हुई। भावुकता भी कर्ण की मृत्यु की वजह बनी। दरअसल महाभारत युद्ध में जब कर्ण सेनापत‌ि बने तब कुंती ने कर्ण के सामने उसकी सच्चाई जाह‌िर कर दी और बताया क‌ि पांडव तुम्हारे भाई हैं। इस बात से कर्ण के अंदर पांडवों के प्रत‌ि भावुकता उत्पन्न हो गई और यही भावुकता युद्ध के दौरान उनके ल‌िए घातक बन गई।

नवरोज आज: पारसी समाज मना रहा अपना नया साल

आज भारत में रहने वाले पारसी समुदाय के लिए नया साल मनाया जा रहा है। अगस्त महीने में पारसी समाज का नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार 17 अगस्त 2017 को मनाया जा रहा है। पारसी समाज इस नववर्ष को नवरोज कहा जाता हैं। भारत में अगस्त महीने में क्यों मनाया जाता है नवरोज वैसे तो पूरे विश्व के दूसरे पारसी समुदाय 21 मार्च को नवरोज का पर्व मनाया जाता है।नवरोज़, फारस के राजा जमशेद की याद में मनाते हैं जिन्होंने पारसी कैलेंडर की स्थापना की थी। इस दिन पारसी परिवार के लोग नए कपड़े पहनकर अपने उपासना स्थल फायर टेंपल जाते हैं और प्रार्थना के बाद एक दूसरे को नए साल की मुबारकबाद देते हैं। साथ ही इस दिन घर की साफ-सफाई कर घर के बाहर रंगोली बनाई जाती है और कई तरह के पकवान भी बनते हैं। दरअसल सातवीं शाताब्दी में जब ईरान में धर्म परिवर्तन की मुहिम चली तो वहां के कई पारसियों ने अपना धर्म परिवर्तित कर लिया, लेकिन कई पारसी जिन्हें यह धर्म परिवर्तन करना मंजूर नहीं था वे लोग ईरान को छोड़कर भारत आ गए। और इसी धरती पर अपने संस्कारों को सहेज कर रखना शुरू कर दिया। भारत और पाकिस्तान में बसे पारसी समुदाय के लोग विश्व के दूसरे देशों में बसे हुए पारसी के 200 दिनों के बाद अगस्त महीने नया वर्ष मनाते हैं। भारत में ज्यादातर पारसी समुदाय गुजरात और महाराष्ट्र में बसे हुए है इस वजह से यह पर्व वहां जोर शोर से मनाया जाता है। नववर्ष पारसी समुदाय में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। पारसी धर्म में इसे खौरदाद साल के नाम से जाना जाता है। पारसियों में 1 साल 360 दिन का होता है और बाकी बचें 5 दिन गाथा के रूप में अपने पूर्वजों को याद करने के लिए रखा जाता है। साल के खत्म होने के ठीक 5 दिन पहले इसे मनाया जाता है। पढ़ें- 

इन 4 राशि वालों को बिल्कुल पसंद नहीं किसी का साथ, जानिए क्यों?

व्यक्ति की पर ग्रह नक्षत्रों का सीधा प्रभाव पड़ता है, जिसका उनकी जिंदगी प्रभावित होती है। इन्हीं नक्षत्रों के आधार पर हर व्यक्ति की एक राशि निश्चित होती है। जिससे उनका स्वभाव और भविष्य के संकेत मिलते हैं। कई लोगों को भीड़ में रहना अच्छा लगता है तो कुछ ऐसे भी होते हैं जिन्हें अकेला रहना ही पसंद है। जानिए किस राशि के लोगों को बिल्‍कुल भी पसंद नहीं किसी का साथ ये भी पढ़ें-  मकर राशि : मकर राशि वालों को अकेले रहना काफी पसंद है। ऐसे लोग दूसरे लोगो से घुलने मिलने में थोडी दिक्कत महसूस होती है, क्योंकि ये लोग स्वभाव से शर्मीले होते हैं। ये लोग उन्हीं के साथ रहना पसंद करते हैं, जिन्हें ये पहले से जानते हैं। मीन राशिः अकेला रहना इन राशि वालों की सबसे बड़ी ताकत होती है। ये दिन में भी सपने देखते हैं और अपनी ही दुनिया में रहते हैं।

राहु-केतु ने बदली अपनी चाल, 4 राशि वालों की खत्म होगी सारी परेशानियां, मिलेगा धन लाभ

18 साल बाद 18 अगस्त 2017 को यानि आज से एक दिन बाद सिंह राशि से कर्क राशि में प्रवेश करेंगे, और यह परिवर्तन 18 अगस्त को सुबह 5 बजकर 53 मिनट पर कर्क राशि में गोचर होगा। वैसे तो को व्यक्ति के बुद्धि को भ्रमित कर देने वाले छाया ग्रह के नाम से जाना जाता है। जिसके कारण जीवन में अचानक कोई बड़ा परिवर्तन होता है, हालांकि यह हमेशा अशुभ नहीं होता है बल्कि कई बार शुभ परिणाम भी देता है। आइए जानते है कि इस राशि परिवर्तन से किन राशि वालों को भविष्य में होने वाला है फायदा। पढ़ें- वृष राशि- वृष राशि से राहु का परिवर्तन चौथे घर में हो रहा है जोकि पराक्रम के भाव को दर्शाता है। राहु आपकी राशि के लिए शुभ फल देने वाला रहेगा। यह परिवर्तन होने से इस राशि वालों को भाग्य का पूरा साथ मिलेगा। यह आपके लिए ऐश्वर्य, धन वैभव और मान सम्मान दिलाएगा। वृश्चिक- राहु आपके दसवें भाव में स्थित है जोकि आपके भाग्य का स्थान है यह भाव आपके कर्म और प्रोफेशन से जुड़ा है। इस बदलाव से आपके मेहनन और कार्यकुशलता से अधिक लाभ मिलेगा। यह परिवर्तन आपकी आने वाली परेशानियों को दूर करेगा। कुंभ- कुंभ राशि के जातकों के लिये राहू का परिवर्तन सातवें घर में होगा जो कि आपके शत्रु और रोग को काटने वाला योग बना रहा है। आपकी राशि से राहू हमेशा सुख समृद्धि देने वाला माना गया है। यह समय आपके लिये शत्रु से भी प्रशंसा पाने का रहेगा। आपकी राशि में राहू का यह परिवर्तन सुख, धन व शांति वृद्धि करने वाला रहेगा। तुला- राहु आपके ग्यारहवें भाव में स्थित होगा। 11वां भाव आर्थिक तरक्की और बेशुमार सफलताओं से संबंधित होता है। इसलिए इस वर्ष आपको अपार सफलता मिलेगी, जो जीवन भर आपके लिए यादगार रहेगी। आय के नए साधन मिलेंगे और करियर में कई सुनहरे अवसर आएंगे।

बालों के झड़ने से हैं परेशान, दिन में 2 बार कुछ सेकेंड के लिए करें ये योग

अधिक पॉल्यूशन का असर बालों पर भी होने लगा है। बाल झड़ना, सफेद और रूखे होना आम बात हो गई है। इससे बचने के लिए ही रोज नए शैम्पू, तेल, आदि का उपयोग करते है, लेकिन फायदा कुछ नहीं। अगर आप भी अपने बाल झड़ने से परेशान रहते हैं तो बालायाम योग आपकी मदद कर सकता है। ये न तो अधिक खर्चीला है और न ही नुकसानदायक।और एक्यूप्रेशर पर आधारित इस योग का मतलब है बालों का । ये भी पढ़ें- बालायोग योग करने के लिए दोनों हाथों के नाखूनों को आपस में रगड़े, लेकिन इसे हर समय न करें। सुबह के नाश्ते से पहले और रात के खाने से 10 मिनट पहले इस योग का अभ्यास करें। दोनों हाथों के नाखूनों को रगड़ने से स्काल्प तक रक्त संचार तेज होता है जिससे बालों संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। इस योग को करीब तीन महीने पर लगातार करें। इससे बालों का गिरना, समय से पहले सफेद होना आदि समस्याओं से निजात मिल जाता है।

Janmashtami 2017: यहां दिन में होता है कान्हा का अभिषेक, पीछे है सदियों पुराना कारण

रात में मनाया जाता है, क्योंकि भाद्रपद मास के कृष्‍ण पक्ष की अष्टमी की आधी रात में उनका जन्म हुआ था। 12 बजते ही हर मंदिर, हर घर से पूजा अर्चना की आवाजें आना शुरू हो जाती है। अंधेरी रात में के जश्न में चगमका उठता है। देश में हर छोटे-बड़े मंदिर को सजाया जाता है। आधी रात को जब गोपाला आते हैं तो उनका दूध से अभिषेक किया जाता है, लेकिन 3 ऐसे मंदिर है जहां कृष्‍णा का अभिषेक रात में न होकर दिन में ही किया जाता है। ये दिनों ही मंदिर है वृंदावन में, जहां कृष्‍णा के बाल रूप की पूजा की जाती है। ये भी पढ़ें-  यहां ऐसा माना जाता है कि कृष्‍णा उनके बच्चे जैसे ही हैं। इसलिए यदि उन्हें रात्रि में नींद से जगाकर अभिषेक किया जाएगा तो माता यशोदा को ऐसा करना अच्छा नहीं लगेगा। इन मंदिरों में चैतन्य महाप्रभु के शिष्य गोपाल भट्ट द्वारा 1542 ईस्वी में ठाकुर राधारमण लाल मंदिर स्‍थापित किया गया है और तब से यहां दिन में ही अभिषेक किए जाने की परंपरा है। पीटीआई के अनुसार चैतन्य महाप्रभु के अन्य भक्त लखनऊ के दो भाई शाह कुंदन लाल और शाह फुंदन लाल ने वृंदावन आकर ठा‌कुर राधारमण मंदिर का जीर्णोद्धार कराया और इसके अलावा एक भव्य मंदिर भी बनवाया। ये मंदिर बसंत पंचमी के दिन ही खुलता है। इस मंदिर में भी दिन में ही ठाकुरजी का अभिषेक किया जाता है। इन दो मंदिरों के अलावा चैतन्य महाप्रभु एक अन्‍य शिष्य जीव गोस्वामी ने ठाकुर राधा दामोदर मंदिर के नाम से माधप गौड़ीस सम्प्रदाय के एक दूसरे मंदिर की स्‍थापना की। ये भी पढ़ें- ठाकुर राधारमण मंदिर में दूध, घी, बूरा, शहद, आदि पंचामृत और दो दर्जन से अधिक जड़ी बूटियों से जन्माष्टमी के दिन अभिषेक किया जाता है और करीब 2100 ली.

हर किसी को दिल दे बैठते हैं इस राशि वाले प्रेमी, ब्रेकअप करने में नहीं लगाते देर

आजकल ब्रेकअप काफी आम बात हो गई है। विचारों के न मिल पाना इसका एक बड़ा कारण होता है, लेकिन कई बार का स्वभाव भी रिश्तों के टूटने का कारण बन जाता है। जिन लोगों की इन राशि में से एक होती है उनके ‌लिए ब्रेकअप एक खेल होता है। ऐसे लोगों से सावधान रहना ही बेहतर है। ये भी पढ़ें- मेषः 12 राशियों में से मेष राशि एक ऐसी राशि है, जिसके सबसे अधिक ब्रेकअप होते हैं। ब्रेकअप के मामले में इनकी कोई होड़ नहीं। इनके ब्रेकअप होने का सबसे बड़ा कारण इनका दिल है, जो एक जगह नहीं टिकता। मेष राशि वाले किसी एक रिश्ते में ज्यादा दिन नहीं रह सकते। ये जल्दी ही बोर होने लगते हैं और जल्दी ही दूसरे रिश्ते की ओर आकर्षित होने लगते हैं।