Janmashtami 2017: शाम को बदलेगी तिथि, रात में इस वक्त करें कान्हा की पूजा

देशभर में आज धूमधाम से ठाकुर जी के बनाया जा रहा है। रात 12 बजते ही कान्हा के आने की खुशी में हर घर में पूजा होगी, 56 भोग लगाए जाएंगे। वैसे इस बार कान्हा के जन्मदिन को लेकर भक्त असमंजस में थे कि वे 14 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएं या 15 अगस्‍त को। दरअसल कृष्‍णा का जन्म भादप्रद माह कृष्‍ण पक्ष की अष्टमी को मध्य रात्रि के रोहिणी नक्षत्र में वृष के चंद्रमा में हुआ था। इस बार 14 अगस्‍त्‍ा की शाम 7: 48 बजे अष्टमी तिथि लग जाएगी, जो मंगलवार शाम 5:42 बजे तक रहेगी। ऐसे में लोग जन्माष्टमी को लेकर असमंजस की स्थिति में थे। ये भी पढ़ें-  शास्‍त्रों के अनुसार पूजा पाठ में उदया तिथि का विशेष महत्व होता है और 15 अगस्त को कृष्‍ण जन्माष्टमी उदया तिथि में होने के कारण उसी दिन मना जा रही है। वैसे 15 अगस्त को शाम 5.

Janmashtami 2017: आज से शुरू करें व्रत रखना, होंगे कई फायदे

हिन्‍दू धर्म में किसी भी त्यौहार आदि पर व्रत रखने की परंपरा है। आने वाली ‌ है और इस दिन बच्चे से लेकर बूढ़े तक पूरे दिन उपवास रखते हैं। अगर आप अभी तक कोई भी उपवास नहीं रख रहे हैं तो इस जन्माष्टमी से व्रत रखना शुरू कर दीजिए, इससे आपको ही फायदा होगा। स्वस्‍थ रहने के लिए अच्छा भोजन जरूरी होता है। अच्छा भोजन शरीर को पर्याप्त ऊर्जा दे देता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उपवास यानी व्रत रखना एक अच्छे भोजन से ज्‍यादा अच्छा होता है। आध्यात्मविदों का मानना है कि ठोस भोजन ज्यादा से ज्यादा शरीर को ऊर्जा ही दे सकता है, लेकिन असली पोषण को ईथर से ही मिलता है। ईथर मतलब चारों और फैला आकाश और उसमें व्याप्त विद्युत तरंगें। ये भी पढ़ें- इसी वजह से सभी धर्मो में उपवास का काफी महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इससे शरीर, मन, चेतना का परिमार्जन होता है और सूक्ष्म शक्तियों के सानिधय में पहुंचता है। बीमार होने पर उपवास को सबसे अच्छा इलाज माना गया है। वास्तव में अच्छे स्वास्‍थ्य और लंबी उम्र के लिए सबसे असरदार अमृत साबित हो सकता है।

इन चीजों से खुद को रखें दूर, नहीं तो आत्माएं पड़ जाएंगी पीछे

वैसे तोयानी आत्माएं जीवित व्यक्तियों से दूर ही रहती हैं, लेकिन कई बार कुछ ऐसी चीजें भी होती है जिससे वे जीवित व्यक्तियों की तरफ आकर्षित होती हैं। ये चीजें आमतौर पर लोगों के पास मिल ही जाती है या कई बार कुछ ऐसी भी गलती कर बैठते है, जिससे उनकी ओर खीचीं चली आती हैं। ये भी पढ़ें- ऐसा कहा जाता है सूरज ढ़लने के बाद लड़कियों को खुले बाल नहींर रखना चाहिए। खासकर अमावस्या की रात को तो बिल्कुल नहीं। इससे नकारात्मक शक्तियां उनकी तरफ आकर्षित होती हैं। रात को तेज सुगंध का इत्र भूलकर भी न लगाएं, क्योंकि तेज खुशबू से नकारात्मक शक्तियां आकर्षित होती है। इसी वजह से तंत्र टोकटों में तेज खुशबू वाले इत्र का प्रयोग अधिक किया जाता है। दाह संस्कार करने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। पीछे मुड़कर देखने से वे आपके साथ हो जाती हैं। उनको ये बताना चाहिए अब आप सब उन्हें भूल गए हैं और उन्हें भी अपनी दुनिया में चले जान चाहिए।  गर्भवती स्त्रियों की तरफ नकारात्मक शक्तियां अधिक आकर्षित होती है। ऐसा माना जाता है नया शरीर पाने के लिए ये इनकी ओर आकर्षित होती है। इसीलिए जहां तक हो रात 10 बजे बाद इन्हें बाहर अकेले जाने न दें।

हलछठ व्रत: संतान की लंबी आयु के लिए इस विधि से करें पूजा 

हलछठ का त्योहार भादों माह की कृष्ण पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। इसी दिन भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। बलरामजी का प्रधान शस्त्र हल तथा मूसल है। इसी कारण उन्हें हलधर भी कहा जाता है। इस बार यह पर्व 13 अगस्त यानि रविवार को मनाया जा रह है। इस पर्व को हरछठ के अलावा कुछ पूर्वी भारत में ललई छठ के रुप में मनाया जाता है। यह पूजन सभी पुत्रवती महिलाएं करती हैं। यह व्रत पुत्रों की दीर्घ आयु और उनकी सम्पन्नता के लिए किया जाता है। इस व्रत में महिलाएं प्रति पुत्र के हिसाब से छह छोटे मिटटी या चीनी के वर्तनों में पांच या सात भुने हुए अनाज या मेवा भरतीं हैं। यह भी पढ़े-

भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति के साथ रखें ये 4 चीजें, मिलेगी विशेष कृपा

15 अगस्त को भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव है। भादों माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। हिन्दूओं के घरों में की मूर्ति अवश्य होती हैं कुछ लोग भगवान कृष्ण को बाल स्वरूप की पूजा की जाती है, लेकिन बालगोपाल की पूजा आराधना करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए।  यह भी पढ़े-  जिस घर में भगवान बाल गोपाल की मूर्ति की पूजा होती है वहां पर तुलसी की माला का होना बहुत आवश्यक माना गया है क्योंकि भगवान को तुलसी बहुत पंसद होती है। इससे घर के वास्तुदोष खत्म होते है और भगवान की कृपा मिलती है। बांसुरी भगवान कृष्णजी को बेहद अच्छी लगती है इसलिए श्रीकृष्णजी की मूर्ति के पास बांसुरी रखना चाहिए इससे वास्तुदोष कम होता है और घर मे धन-धान्य बना रहता है। जब भी अपने घर में बाल गोपाल को रखें तो इनके साथ मोर पंख जरूर रखें। मोर पंख रखने से घर की नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और घर में भगवान की कृपा बनी रहती है। भगवान कृष्ण को माखन खाना बहुत पंसद होता है इसलिए जब भी सुबह और शाम को भगवान की पूजा करें तो उनको भोग में मिश्री के साथ माखन जरूर खिलाएं घर में अगर बाल गोपाल की मूर्ति की पूजा की जाती है तो कृष्ण को वैजन्ती की माला जरुर रखनी चाहिए और यह माला हमेशा उनके गले में उन्हें अवश्य पहनाएं इससे भगवान प्रसन्न होते है 

जन्माष्टमी 2017: इस कारण से भगवान श्रीकृष्ण को पसंद है माखन मिश्री और 56 भोग 

भगवान विष्णु के 8वें अवतार का जन्मोत्सव देश-विदेश में बड़े धूमधाम से मनाने की तैयारियों जोरो से चल रही हैं। हिन्दू पंचाग के अनुसार का जन्म भाद्रपद की अष्टमी की मध्यरात्रि को हुआ था। भगवान बचपन में बेहद ही शरारती बच्चे थे और उनको खाने का बहुत ही शौक था। माता यशोदा हर रोज उनको अपने हाथों से तरह-तरह के पकवान बना कर खिलाया करती थीं। आइए जानते है भगवान श्रीकृष्ण को खाने में क्या-क्या पंसद होता है। यह भी पढ़े- भगवान श्रीकृष्ण का एक नाम माखन चोर भी है। कृष्ण जी को बचपन से ही मख्खन खाना बेहद पंसद है। इसके लिए वह पूरे गांव में मख्खन को चुरा कर खा जाया करते थे। भगवान श्रीकृष्ण को उनके भक्त माखन के अलावा उन्हें प्रसन्न करने के लिए माखन मिश्री का भोग लगाते है। यह भोग भगवान को बहुत पसंद है। इसके अलावा भगवान को 56 तरह के भोग भी लगाया जाता है। भगवान को भोग लगाने के लिए भक्त 56 भोग चढ़ाते हैं। 56 भोग लगाने के पीछे कथा है। कहा जाता है कि इंद्र के प्रकोप से सारे ब्रजवासियों को बचाने के लिए उन्होने पूरा गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था। ऐसा करने के लिए उन्होने सात दिनों तक अन्य जल ग्रहण नहीं किया था।  भगवान श्रीकृष्ण हर रोज भोजन में आठ तरह की चीजें खाते थे, लेकिन सात दिनों से उन्होंने कुछ भी नहीं खाया था। इसलिए सात दिनों के बाद गांव का हर निवासी उनके लिए 56 तरह के पकवान बनाकर लेकर आया

आधी रात आसमान होगा रोशन, किस्मत चमका देगा 5 रुपए के सिक्के का ये उपाय

हैडिंग पढ़कर शायद आपको कुछ अजीब सा लग रहा हो कि आज रात कैसे नहीं होगी। दरअसल 12 अगस्त यानी आज रात में एक बजे बाद उल्काओं की बारिश होने वाली है, जिस वजह में आसमान में घना अंधेरा न होकर हल्का उजाला रहेगा। वैसे ये खगोलीय घटना जुलाई-अगस्त माह में होती है। मी‌टियर शॉवर यानि उल्का बारिश एक साल में तीन बार होती है, लेकिन इस बार ये हर बार से अधिक होगी।  इस दौरान हर एक सेकेंड में टूटता उल्का हमें तारें में रूप में दिखाई देगा। आज करीब 100 से 200 उल्काएं पृथ्वी के वातावरण से टकराएंगी, लेकिन की रोशनी ‌अधिक होने के कारण 50 से 60 प्रति घंटा ही देखी जा सकती है।  ये भी पढ़ें- -अक्सर सुनने में आता है कि टूटते तारे से जो कुछ भी मांगते हैं, वे पूरी हो जाती है। उल्काएं भी टूटते तारे के रूप में दिखाई देंगे। इनसे मांगी गई सभी विश पूरी होती है। इस समय 5 रूपए के सिक्के का एक उपाय आपको मालामाल भी बना सकता है। इस खगोलीय घटना का संबंध नक्षत्रों से भी होता है। 5 रूपए के एक सिक्के के ऊपर सिंदूर से अपने नाम का पहला अक्षर लिख दें। रात के समय उस सिक्के को अपनी छत पर लेकर जाएं और पानी की टंकी के ऊपर रख दें। अगर पानी की टंकी नहीं है तो फिर छत पर ही रहने दें।

सुबह उठते ही 2 क्षण के लिए करें ये उपाय, कभी नहीं रहेंगे परेशान

जीवित रहने के लिए जितना जरूरी भोजन और श्वास है, उतना ही जरूरी प्राण ऊर्जा भी है। भोजन के बिना फिर भी कुछ दिन और श्वास के बिना कुछ पल जीवित रहे जाएं, लेकिन प्राण ऊर्जा के बिना एक सेकेंड भी जिंदा रहना मुश्किल होता है। प्राण ऊर्जा नाड़ियों से प्रवाहित होती है और शरीर में सैकड़ों नाड़ियां होती है, जिसका सही रहना काफी जरूरी होता है। अब आप सोच रहे होंगे कि इतनी सारी नाड़ियों को स्वस्‍थ रखना शायद नामुकिन हो, लेकिन आप 2 क्षण में इनको स्वस्‍थ रख सकते हैं। स्वर विज्ञान के अनुसार सैकड़ों नाड़ियों में तीन नाड़ी इडा, पिंगला और सुशुमना मुख्य होती है। इडा बायीं नासिका छिद्र में होती है और पिंगला दायीं नासिका छिद्र में होती है। अगर श्वास दायीं नासिका छिद्र में चलती है तो प्राण ऊर्जा पिंगला नाड़ी में बहती है और इसे सूर्य स्वर भी कहा जाता है। वहीं जब श्वास बायी नासिका छिद्र में चलती है तो प्राण ऊर्जा इड़ा नाड़ी में चलती है और इसे चंद्र स्वर कहते हैं। चंद्र शीतलता और सूर्य स्वर गर्मी प्रदान करता है और ये बदलते रहते हैं। वहीं जब श्वास दोनों नाड़ियों से चल रही हो तो प्राण ऊजा्र सुशुमना नाड़ी से प्रवाहित होती है। सुबह जब नींद खुले तो सबसे पहले अपना स्वर चैक करें। स्वर चैक करने के लिए नासिका के एक छिद्र के आगे उंगुली रखें। अगर सूर्य स्वर चल रहा हो तो दाएं हाथ को देखें और इसी तरफ वाले गाल रगड़े। वहीं अगर चंद्र स्वर चल रहा हो तो बाएं हाथ को देखें और इसी तरफ वाला गाल रगड़ें। इसी तरह जिस तरफ वाला आपका स्वर चल रहा हो तो बिस्तर छोड़ते समय उस तरफ वाला पैर सबसे पहले जमीन पर रखें। वैसे तिथि के अनुसार भी स्वर को नियंत्रित किया जा सकता है। किसी भी प्रयोग को 21 दिन तक लगातार करना चाहिए। इस तरीके से न ही कभी आपको श्वास से संबंधित कोई बीमारी होगी और न ही कोई तनाव। 

पैसों से भर जाएगी तिजोरी, आज इस समय रखें मौन व्रत

महालक्ष्मी का प्रिय दिन शुक्रवार होता है, इस दिन मां लक्ष्मी की आराधना करने से व्यक्ति को पैसों की कमी नहीं होती। 11 अगस्त को मां लक्ष्मी का दिन है, लेकिन इस बार ये दिन अधिक लाभदायक है, क्योंकि इस शुक्रवार को संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत और बहुला चतुर्थी व्रत का शुभ संयोग पड़ रहा है। मां लक्ष्मी भगवान गणेश को अपना पुत्र मानती थी, जो उनके प्रिय दिन पर ये संयोग बनना अधिक शुभ है। इस दिन किए गए विशेष उपाय से एक ओर धन से संबंधित कभी भी कोई समस्या नहीं होती, वहीं व्यक्ति की सारी इच्छाएं भी पूरी होती है। ये शुभ दिन आपको लाभ देकर जाए, इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि चांद देखने से पहले मौन रहें। यानी मौन व्रत रखें और चांद को देखने के बाद ही ये व्रत खोलें। चांद दिखने पर सबसे पहले अर्घ्य दें। शंख में दूध, सुपारी, गंध और चावल से भगवान गणेश और तिथ‌ि दोनों को अर्घ्य दें। जौ और सत्तू का भोग लगाएं और पूजा करने के बाद इसी भोग का भोजन करें। शास्‍त्रों के अनुसार इस दिन गाय के दूध पर सिर्फ बछड़े का अधिकार होता है। 

कजरी तीज आज, पति की लंबी आयु के लिए करें ये उपाय

भादों महीने की कृष्ण तृतीया को कजरी तीज के रूप में मनाई जाती है। इसे कई नामों से जाना जाता है जैसे सतवा तीज, सातुडी तीज और सौंधा तीज। ये त्योहार सुहागिन और कुंवारी कन्याओं के लिए काफी महत्व रखता है। इस दिन पत्नी अपने पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत रखती है। साथ ही अच्छे वर के लिए कन्याएं यह व्रत जरुर रखती है। माता पार्वती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थी इसके लिए उन्होनें 108 साल तक कठोर तपस्या की थी और भवगाव शिव को प्रसन्न किया था। शिवजी ने पार्वती से खुश होकर इसी तीज के दिन अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। इस दिन भगवान शिव और पार्वती की पूजा करते हैं। इस दिन सुहागिन महिलाएं और कन्याएं एक साख कजरी गीत गाती है और गीत संगीत का कार्यक्रम करती है। यह व्रत विशेषकर उत्तर भारत के हिस्सो में मनाया जाता है। इस दिन गेंहू,जौ,चना और चावल से सत्तू में घी मिलाकर तरह तरह के पकवान बनाए जाते है और गाय की पूजा की जाती है। इस दिन नीम की पूजा की जाती है। कन्याएं व सुहागिनें व्रत रखकर संध्या को नीम की पूजा करती हैं। कन्याएं सुन्दर,सुशील वर तथा सुहागिनें पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। वे तीज माता की कथा सुनती हैं। मन्दिरों में देवों के दर्शन करती हैं। इसके बाद व्रत तोड़ती है।