आज भारत में रहने वाले पारसी समुदाय के लिए नया साल मनाया जा रहा है। अगस्त महीने में पारसी समाज का नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार 17 अगस्त 2017 को मनाया जा रहा है। पारसी समाज इस नववर्ष को नवरोज कहा जाता हैं।
भारत में अगस्त महीने में क्यों मनाया जाता है नवरोज
वैसे तो पूरे विश्व के दूसरे पारसी समुदाय 21 मार्च को नवरोज का पर्व मनाया जाता है।नवरोज़, फारस के राजा जमशेद की याद में मनाते हैं जिन्होंने पारसी कैलेंडर की स्थापना की थी। इस दिन पारसी परिवार के लोग नए कपड़े पहनकर अपने उपासना स्थल फायर टेंपल जाते हैं और प्रार्थना के बाद एक दूसरे को नए साल की मुबारकबाद देते हैं। साथ ही इस दिन घर की साफ-सफाई कर घर के बाहर रंगोली बनाई जाती है और कई तरह के पकवान भी बनते हैं।
दरअसल सातवीं शाताब्दी में जब ईरान में धर्म परिवर्तन की मुहिम चली तो वहां के कई पारसियों ने अपना धर्म परिवर्तित कर लिया, लेकिन कई पारसी जिन्हें यह धर्म परिवर्तन करना मंजूर नहीं था वे लोग ईरान को छोड़कर भारत आ गए। और इसी धरती पर अपने संस्कारों को सहेज कर रखना शुरू कर दिया।
भारत और पाकिस्तान में बसे पारसी समुदाय के लोग विश्व के दूसरे देशों में बसे हुए पारसी के 200 दिनों के बाद अगस्त महीने नया वर्ष मनाते हैं। भारत में ज्यादातर पारसी समुदाय गुजरात और महाराष्ट्र में बसे हुए है इस वजह से यह पर्व वहां जोर शोर से मनाया जाता है।
नववर्ष पारसी समुदाय में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। पारसी धर्म में इसे खौरदाद साल के नाम से जाना जाता है। पारसियों में 1 साल 360 दिन का होता है और बाकी बचें 5 दिन गाथा के रूप में अपने पूर्वजों को याद करने के लिए रखा जाता है। साल के खत्म होने के ठीक 5 दिन पहले इसे मनाया जाता है।
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