रक्षाबंधन के त्योहार को आमतौर पर भाई बहनों का त्योहार माना जाता है लेकिन इस त्योहार को मनाने का महज यही कारण नहीं है, इसके पीछे और भी कई वजहें हैं। पहली वजह पुराणों की कथा में मिलती है इसके अनुसार रक्षासूत्र यानी राखी का निर्माण करने वाली देवी शचि हैं। यह देवराज इंद्र की पत्नी हैं। भविष्य पुराण की कथा के अनुसार देवलोक पर असुरों ने अाक्रमण कर दिया। युद्ध में असुरों का प्रभाव बढ़ता जा रहा था। ऐसे समय में देवराज इंद्र की रक्षा के लिए देवी शचि ने कच्चे धागे को अभिमंत्रित करके श्रावण पूर्णिमा के दिन देवराज इंद्र की कलाई में बांध दिया। इसके बाद इंद्र ने असुरों को पराजित कर दिया। तभी से यह त्योहार मनाने की परंपरा चली आ रही है।
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दूसरी कथा वामन पुराण में मिलती है। इस पुराण में राखी के बारे में जो कथा मिलती है उसके बाद से राखी भाई बहनों का त्योहार बन गया। इस पुराण में बताया गया है कि भगवान विष्णु के वामन अवतार को राजा बलि अपने साथ पाताल लेकर चले गए। वामन बने भगवान विष्णु अपने दिए वरदान के कारण पाताल को छोड़कर बैकुंठ नहीं जा सकते थे। ऐसे में देवी लक्ष्मी ने श्रावण महीने की पूर्णिमा तिथि को एक बूढ़ी महिला का भेष बनाया और पहुंच गयी पाताल लोक में राजा बलि के पास। राजा बलि ने गरीब और कमजोर बूढ़ी स्त्री को देखा तो उसे बहन बना लिया। देवी लक्ष्मी ने राजा बलि की कलाई में रेशम के धागे बांधे तो राजा बलि ने उपहार मांगने के लिए कहा। देवी लक्ष्मी ने झट से वामन को वरदान के बंधन से मुक्त करके बैकुंठ लौट जाने का आशीर्वाद मांग लिया। इस तरह देवी लक्ष्मी ने राखी को भाई बहन का त्योहार बना दिया।
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राखी को लेकर महाभारत में एक कथा का उल्लेख है जिसमें एक साख्य भाव से रक्षा बंधन मनाने का जिक्र आया है। शिशुपाल के वध के समय अपने ही सुदर्शन चक्र से श्री कृष्ण की उंगली कट गई। द्रौपदी ने जब देखा कि वासुदेव श्री कृष्ण की उंगली में खून टपक रहा है तो उन्होंने झट से अपनी साड़ी का पल्लू फाड़ा और श्री कृष्ण की उंगली में बांध दिया जिससे खूब का टपकना बंद हो गया। यह घटना भी सावन महीने की पूर्णिमा तिथि को हुआ माना जाता है।
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राखी का त्योहार मनाने का एक अन्य कारण भी महाभारत में दिया गया है। यह कथा है महाभारत युद्ध के समय का। कथा है कि भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा कि तुम्हारी रक्षा करने वाले तुम्हारे सैनिक हैं। इसलिए इनके साथ रक्षाबंधन का त्योहार मनाओ। श्री कृष्ण की सलाह पर युधिष्ठिर ने अपने सैनिकों के संग राखी का त्योहार मनाया। यही कारण है कि आज भी लोग सैनिकों के साथ रक्षाबंधन का त्योहार मनाते हैं।
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राखी से जुड़ी सबसे आधुनिक कथा मुगल शासक हुमायूं और चितौड़ की रानी कर्णावती की है। गुजरात के शासक बहादुर शाह से अपने राज्य और जनता की रक्षा के लिए रानी ने हुमायूं को राखी भेजा। हुमायूं ने भी राखी की लाज रखते हुए रानी कर्णावती की सहायता की। आधुनिक युग में राखी के महत्व को स्थापित करने में इस कथा ने भी बड़ी भूमिका निभाई। वैसे रक्षाबंध्ान के अलावा भी इसदिन का बड़ा महत्व है।
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रक्षाबंधन का त्योहार इसलिए भी मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान विष्णु के हयग्रीव अवतार का जन्म श्रवण नक्षत्र में हुआ था। वैष्णव धर्म में हयग्रीव भगवान के जन्म का उत्सव श्रावणी उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
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चार वेदों में सामवेद की उत्पत्ति भी श्रावण पूर्णिमा के दिन हुआ माना जाता है। माना जाता है कि इसी दिन वितस्ता और सिंधु नदी के संगम भी भगवान विष्णु ने पहली बार सामवेद का गायन किया था।