का त्योहार आमतौर पर भाई-बहनों का त्योहार माना जाता है। इस दिन बहनें भाई की कलाईयों में राखी बांधकर उन्हें लंबी उम्र की दुआ देती हैं, लेकिन रक्षाबंधन का एक बड़ा रहस्य यह है कि इस त्योहार की शुरुआत भाई-बहन ने नहीं, बल्कि एक पति पत्नी से शुरू किया गया था। इसके बाद से संसार में रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाने लगा। इस संदर्भ में जो कथा है उसका उल्लेख भविष्य पुराण में मिलता है।

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भविष्य पुराण के अनुसार एक बार दानवों ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया। देवताओं की सेना दानवों से पराजित होने लगी। देवराज इंद्र की पत्नी देवताओं की लगातार हो रही हार से घबरा गयी और इंद्र के प्राणों रक्षा के उपाय सोचने लगी।





काफी सोच-विचार करने के बाद इन्द्र  की पत्नी शचि ने तप करना शुरू किया। इससे एक रक्षासूत्र प्राप्त हुआ। शचि ने इस रक्षासूत्र को इंद्र की कलाई पर बांध दिया। इससे देवताओं की शक्ति बढ़ गयी और दानवों पर विजय पाने में सफल हुए।





श्रावण पूर्णिमा के दिन शचि ने इंद्र को रक्षासूत्र बांधा था। इसलिए इस दिन से रक्षा बंधन का त्योहार बनाया जाने लगा। भविष्य पुराण के अनुसार यह जरूरी नहीं कि भाई-बहन अथवा पति-पति रक्षा बंधन का त्योहार मना सकते हैं।





दरअसल आप जिसकी भी रक्षा एवं उन्नति की इच्छा रखते हैं उसे रक्षा सूत्र यानी राखी बांध सकते हैं। इसलिए पुरोहित लोग आशीर्वादवाचन के साथ अपने यजमान की कलाई में राखी बांधा करते हैं।

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