आज ऋषि पंचमी है। भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी का व्रत मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से सप्त ऋषियों की पूजा की जाती है। इस व्रत को पुरुष और महिलाएं दोनो ही कर सकते है। ऋषि पंचमी के दिन महिलाएं ऋषियों की पूजा कर उनसे धन-धान्य, समृद्धि, संतान प्राप्ति तथा सुख-शांति की कामना करती हैं।

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शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को सप्तऋषियों की पूजा करने से सभी प्रकार के पापो से मुक्ति मिल जाती है। इस व्रत को करने से जाने-अनजान में किए गए सारे पाप कट जाते है।





इस व्रत के बारे में ब्रह्राजी ने राजा सिताश्व को बताया था जिसे करने से प्राणियों के समस्त पापों का नाश हो जाता है। सनातन धर्म में स्त्री जब मासिक धर्म या रजस्ख्ला (पीरियड) में होती है तब उसे सबसे अपवित्र माना जाता है। इस दोष को दूर करने के लिए वर्ष में एक बार ऋषि पंचमी का व्रत किया जाता है।





ऋषि पंचमी के व्रत में किसी नदी में स्नान करना चाहिए और कथा सुननी चाहिए साथ ही दान-दक्षिणा आदि करना चाहिए। इस व्रत को करने से धन-सम्पति और सुख- शांति का आशीर्वाद मिलता है।





इस दिन सप्तऋषियों की पूजा करने से व्यक्ति के सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते है। अविवाहित स्त्रियों के लिए यह व्रत बेहद महत्त्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन हल से जोते हुए अनाज को नहीं खाया जाता अर्थात जमीन से उगने वाले अन्न ग्रहण नहीं किए जाते हैं।